स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या है अंतर - TheMasterJi.com

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या है अंतर

तिरंगा झंडा फहराने के नियम.... 



  
 हमारे राष्ट्रीय पर्व(स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस) के दिन हम सब तिरंगा फहराते हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश के गौरव का प्रतीक है। 2 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में देश के राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) को अपनाया गया था। राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है, इसीलिए हम इसे तिरंगा कहते हैं। राष्ट्रीय ध्वज में सफेद रंग की पट्टी में नीले रंग से बना अशोक चक्र है जिसमें चौबीस तीलियां हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को आंध्रप्रदेश के पिंगली वैंकैया ने बनाया था। ध्वज (National Flag) को साधारण भाषा में झंडा कहा जाता है। आपको बता दें कि देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। और अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सजा का भी प्रावधान है। 

जानिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या है अंतर ?

*पहला अंतर*

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे "ध्वजारोहण" कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना आजादी की जंग में जीत को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में "Flag Hoisting (ध्वजारोहण)" कहा जाता है।
जबकि
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे "Flag Unfurling (झंडा फहराना)" कहा जाता है। आर्टिफिसिअल ग्रीन ग्रास घर, ऑफिस, छत, बालकनी, आदि के लिए बहुत उपयोगी। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें।
 

*दूसरा अंतर*

15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था, इससे पहले दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।
जबकि
26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

*तीसरा अंतर*

स्वतंत्रता दिवस के दिन "लाल किले" से ध्वजारोहण किया जाता है।
जबकि
गणतंत्र दिवस के दिन "राजपथ" पर झंडा फहराया जाता है।


तिरंगा झंडा फहराने के नियम... 

1. जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।

2. सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।

3. झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। 



4. जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।

5. झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो।
 
6. झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचों बीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।

7. फटा या मैला झंडा नहीं फहराया जाता है।

8. झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।

9. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।

10. झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।

11. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।

यह जानकारी सभी को पता चले, आगे जरूर शेयर करें।

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