श्राद्ध किस लिए करना है? आखिर कौए ही क्यों? - TheMasterJi.com

श्राद्ध किस लिए करना है? आखिर कौए ही क्यों?


श्राद्ध किस लिए करना है? आखिर कौए ही क्यों?
कौवा

क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवौ के लिए खीर बनाने को कहते थे।
और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि दूरदर्शी विचारों के थे।
वैसे तो हमारे शास्त्रों में बहुत से कारण बताए गए हैं लेकिन वैज्ञानिक तर्क वाला एक कारण यह भी है।
आपने कभी पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?

या किसी को लगाते हुए देखा है? और आपने जिन्हे लगाते हुए देखा भी होगा तो वह पहले से ही उगे हुए पौधे को किसी सुरक्षित जगह पर लगा रहे होते हैं। नदी में सिक्के नहीं फेकने चाहिए क्यों?? जानने के लिए क्लिक करें
क्या पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।

यह दोनों वृक्षों के फल कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं। OTP फ्राड का अनोखा भावनात्मक मामला, पढ़े और सुरक्षित रहें...
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन O2  छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भाद्रपद महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है। तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने
कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राद्ध के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।

जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जायें।
इसलिए दिमाग को दौड़ाए और श्राद्ध करे प्रकृति के रक्षण के लिए और ध्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आयेगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं। हिन्दू धर्म से जुड़ी 9 रोचक तथ्य...

सनातन धर्म पे उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उन पर उंगली उठाओ, जब आपके विज्ञान का वि भी नही था हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सा चीज खाने लायक है कौन सा नही.. अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजो ऋषि मुनियों के नियमो पे उंगली उठाने के बजाय , उसके गहराई को जानिये।

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